नमो नमो ललिते माँ श्री विद्या ललिते।
हरिहर बिधि नित ध्यावै
सुर नर मुनि चित लावैं तव कीरत कलिते।
माँ नमो नमो ललिते माँ श्री विद्या ललिते।।
त्रिगुणमयि त्रिपुरा तुम
त्रिभुवन सुखदानी
लीलाविग्रह धारणी राजेश्वर रानी।
माँ नमो नमो ललिते माँ श्री विद्या ललिते।।
पंचासन पे राजे चार भुजाधारी
धनुष बाण पांशंकुश
निज जन सुख कारी।
माँ नमो नमो ललिते माँ श्री विद्या ललिते।।
अदभुत करुण कौ मद नैनन में सोहैं
कोटिन भानु प्रभासम
तरुण अरुण आभासम मुखमण्डल मोहै।
माँ नमो नमो ललिते माँ श्री विद्या ललिते।।
तुम षटचकृ निवासिन कुंडलिनि रूपा
यन्त्रराज में राजत
मणिद्धीप में विराजत वरदा सुरभूपा।
माँ नमो नमो ललिते माँ श्री विद्या ललिते।।
राधा रूप अगाधा
गायत्री गीता
यमुना हरि पटरानी सावित्री सीता।
माँ नमो नमो ललिते माँ श्री विद्या ललिते।।
काली बगला
बाला तारा भुवनेशी
बाराही मातांगी कमला वचनेशी।
माँ नमो नमो ललिते माँ श्री विद्या ललिते।।
छिन्नशिरा चामुंडा
कामेशी काशी
कोटिन रूप भवानी तेरे अविनाशी
माँ नमो नमो ललिते माँ श्री विद्या ललिते।।
जो यह ललिता आरति
भक्ति सहित गावैं
देवन दुर्लभ अगम परमशिव पद पावै |
माँ नमो नमो ललिते माँ श्री विद्या ललिते।।